Sharad Navratri
शारदीय नवरात्रि :
नवरात्रि का पर्व आरंभ होने जा रहा है, घरों में नवरात्रि के पर्व को मनाने के लिए तैयारियां आरंभ हो चुकी हैं,हिंदू धर्म में मां दुर्गा को विशेष स्थान प्राप्त है, मां दुर्गा को शक्ति प्रतीक माना गया हैI ऋगवेद के अनुसार माँ दुर्गा ही आदि-शक्ति हैं. पौराणिक कथाओं में मां दुर्गा को सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली देवी माना गया है. इसके साथ ही जीवन में आने वाली हर परेशानियां को दूर करने में मां दुर्गा की पूजा को प्रभावशाली माना गया हैI
पूजा-विधि:
- सुबह उठकर जल्गी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
- मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
- धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
- मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
दुर्गा पूजा कलश स्थापना:
पंचांग के अनुसार 07 अक्टूबर 2021, गुरुवार को कलश स्थापना की जाएगी. इस दिन घटस्थापना मुहूर्त प्रात: 06:17 से प्रात: 07:07 तक कर सकते हैं. वहीं घटस्थापना अभिजित मुहूर्त प्रात: 11:45 से दोपहर 12:32 तक बना हुआ हैI
महाअष्टमी:
इस साल महाअष्टमी 13 अक्टूबर (बुधवार) को पड़ रही है,चूंकि इस साल की शारदीय नवरात्रि में चतुर्थी तिथि का क्षय हो रहा है इसलिए नवरात्रि आठ दिन की होगी, ऐसे में महाअष्टमी व्रत 13 अक्टूबर को रखना उत्तम होगा, महाअष्टमी के दिन महागौरी की पूजा की जाती हैI
महानवमी :
हिंदू पंचांग के अनुसार, महानवमी 14 अक्टूबर (गुरुवार) को मनाई जाएगी,नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान हैI
पहला दिन) – 7 अक्टूबर- मां शैलपुत्री की पूजा की जाती हैI
(दूसरा दिन) -8 अक्टूबर -मां ब्रह्मचारिणी पूजा की जाती हैI
(तीसरा दिन) -9 अक्टूबर – मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजाI
(चौथा दिन)-10 अक्टूबर- मां स्कंदमाता की पूजा I
(पांचवा दिन)-11 अक्टूबर- मां कात्यायनी की पूजा I
(छठां दिन)- 12 अक्टूबर- मां कालरात्रि की पूजा I
(सातवां दिन) -13 अक्टूबर-मां महागौरी पूजा I
(आठवां दिन) -14 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री की पूजा I
(नौंवा दिन) -15 अक्टूबर-दशमी नवरात्रि पारण/दुर्गा विसर्जन I
कन्या पूजा :
अष्टमी-नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। कन्या पूजन यानी कुमारी पूजा नवरात्रि और दुर्गा पूजा के दौरान एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। कुमारी पूजा को कन्या पूजा और कुमारिका पूजा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में नवरात्रि के सभी नौ दिनों में कुमारी पूजा का सुझाव दिया गया है। नवरात्रि के पहले दिन केवल एक कन्या की पूजा करनी चाहिए और प्रत्येक दिन एक कन्या को जोड़ना चाहिए ।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दो से दस वर्ष की कन्याएं कुमारी पूजा के लिए उपयुक्त होती हैं और एक वर्ष की कन्या से बचना चाहिए। दो से दस साल की लड़कियां दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं और इन्हें नाम दिया गया है-
कुमारी
त्रिमूर्ति
कल्याणी
रोहिणी
काली
चंडिका
शाम्भवी
दुर्गा
भद्र ओर सुभद्रा
पूजा सामग्री :
शारदीय नवरात्रि में माता रानी की पूजा के लिए- मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब, दीपक, घी/ तेल, फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सिंदूर, केसर, कपूर, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, सुगंधित तेल, चौकी, आम के पत्ते, नारियल, दूर्वा, आसन, पांच मेवा, कमल गट्टा, लोबान, गुग्गुल, लौंग, हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार रेशमी चुनरी, लाल चूड़ियां, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान आदि की जरूरत होती हैI
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