अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ और मंगलकारी तिथि माना गया है। अक्षय तृतीया एक शुभ मुहूर्त है यानी इस तिथि पर कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है। अक्षय तृतीया का त्योहार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। अक्षय का अर्थ होता है ‘जिसका कभी भी क्षय न हो यानी कभी नाश न हो’ ,धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया शुभ कार्य, दान-पुण्य, स्नान,पूजा और तप करने से अक्षय फल की प्राप्ति होता है। यही वजह है कि लोग अक्षय तृतीया के दिन विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार, धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ आदि करते हैं। वहीं सोना खरीदने के लिए ये तिथि सबसे शुभ मानी जाती है। दीपावली की ही तरह इस दिन भी मां लक्ष्मी की पूजा करने से उनकी असीम कृपा बरसती है और जीवन धन-धान्य से भरा रहता है। इस दिन प्रात: काल स्नान करके मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में समृद्धि आती है। साथ ही अक्षय तृतीया पर कुछ उपाय भी बेहद शुभ फल देने वाले होते हैं।
अक्षय तृतीया पर धन प्राप्ति के लिए पूजन विधि
- अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी को गुलाबी फूल अर्पित करें। इसके अलावा स्फटिक की माला अर्पित करें। यदि नई माला न मिले तो पुरानी स्फटिक की माला को गंगाजल में धोकर अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद उसी माला से “ऊं ह्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः:” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- सुखी वैवाहिक जीवन के लिए अक्षय तृतीया के दिन मां गौरी और भगवान शिव की उपासना करें। इस दिन संपूर्ण शिव परिवार की उपासना करना भी काफी शुभ होता है। पूजा के दौरान फूलों की एक माला इस तरह से अर्पित करें कि वो मां गौरी और भगवान शिव के गले में आ जाए। साथ ही इस दिन स्त्रियां मां गौरी को सिंदूर अर्पित कर “ऊं गौरीशंकराय नम:” मंत्र का 108 बार जाप करें और मां गौरी को अर्पित किए सिंदूर को सुरक्षित रख लें।
ग्रहों का विशेष संयोग
अक्षय तृतीया के दिन शुक्र के अपनी उच्च राशि में होने से मालव्य राजयोग, गुरु के मीन राशि में होने से हंस राजयोग और शनि के अपने घर में विद्यमान होने से शश राजयोग बन रहा है, वहीं इस दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में स्थित रहेंगे। लगभघ 50 साल बाद ऐसा संयोग बना है कि दो ग्रह उच्च राशि में और दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में स्थित रहेंगे।
अक्षय तृतीया को क्यों माना गया है सबसे शुभ मुहूर्त
- इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं।
- इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है।
- अक्षय तृतीया के दिन ही पांडव पुत्र युधिष्ठर को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी हुई थी। इसकी विशेषता यह थी कि इसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था।
- भगवान विष्णु के छठें अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्म हुआ था।
शुभ मुहूर्त-
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं, PujaSamadhaan इसकी पुष्टि नहीं करता है ।
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