हनुमान जयंती
हनुमान जयंती – चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को संकटमोचन राम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था । भगवान विष्णु को रामावतार के समय सहयोग करने के लिए रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म हुआ । रावण युद्ध, लंका विजय में हनुमान जी ने अपने प्रभु श्रीराम की पूरी मदद की,उनके जन्म का उद्देश्य ही राम भक्ति था, इस बार हनुमान जयंती के दिन शनिवार होने के कारण ये और भी खास हो गई है,धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिवार का दिन भगवान हनुमान और शनिदेव की पूजा के लिए शुभ माना गया है।
हनुमान जन्म कथा:
शास्त्रों में हनुमान जी के जन्म को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार स्वर्ग में ऋषि दुर्वासा द्वारा आयोजित सभा में स्वर्ग के राजा इंद्र भी उपस्थित थे। उस समय पुंजिकस्थली नामक अप्सरा ने बिना किसी प्रयोजन के सभा में दखल देकर उपस्थित देवगणों का ध्यान भटकाने की कोशिश की। इससे नाराज होकर ऋषि दुर्वासा ने पुंजिकस्थली को बंदरिया बनने का श्राप दे दिया, ये सुन पुंजिकस्थली रोने लगी। तब ऋषि दुर्वासा ने कहा कि अगले जन्म में तुम्हारी शादी बंदरों के देवता से होगी। साथ ही पुत्र भी बंदर प्राप्त होगा। अगले जन्म में माता अंजनी की शादी बंदर भगवान केसरी से हुई और फिर माता अंजनी के घर हनुमान जी का जन्म हुआ।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, अयोध्या नरेश राजा दशरथ जी ने जब पुत्रेष्टि हवन कराया था, तब उन्होंने प्रसाद स्वरूप खीर अपनी तीनों रानियों को खिलाया था, उस खीर का एक अंश एक कौआ लेकर उड़ गया और वहां पर पहुंचा, जहां माता अंजना शिव तपस्या में लीन थीं, मां अंजना को जब वह खीर प्राप्त हुई तो उन्होंने उसे शिवजी के प्रसाद स्वरुप ग्रहण कर लिया, इस घटना में भगवान शिव और पवन देव का योगदान था, उस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद हनुमान जी का जन्म हुआ ।
माता अंजना के कारण हनुमान जी को आंजनेय, पिता वानरराज केसरी के कारण केसरीनंदन और पवन देव के सहयोग के कारण पवनपुत्र आदि नामों से भी जाना जाता है, हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्रवतार हैं
हनुमान जयंती पूजा विधि:-
धार्मिक मान्यता है कि हनुमान जयंती के अवसर पर विधि विधान से बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, हनुमान जी की पूजा करते समय राम दरबार का पूजन अवश्य करें। क्योंकि माना जाता है कि राम जी की पूजा के बिना हनुमान जी की पूजा अधूरी रहती है।
हनुमान जयंती पर शाम को लाल वस्त्र बिछाकर हनुमान जी की मूर्ति या फोटो को स्थापित करें, खुद लाल आसन पर लाल वस्त्र पहनकर बैठ जाएं,घी का दीपक और चंदन की अगरबत्ती या धूप जलाएं, चमेली तेल में घोलकर नारंगी सिंदूर और चांदी का वर्क चढ़ाएं, इसके बाद लाल फूल से पुष्पांजलि दें, लड्डू या बूंदी के प्रसाद का भोग लगाएं, आरती करें और ‘ॐ मंगलमूर्ति हनुमते नमः’ मंत्र का जाप करें ।
Disclaimer:-इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैंI PujaSamadhaan इसकी पुष्टि नहीं करता है ।
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