महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है की शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है, ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए महाशिवरात्रि का त्योहार महत्त्वपूर्ण है, आज के दिन लोग व्रत रखते हैं और पूरे विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करते हैंI
महाशिवरात्रि पूजन विधि:-
हर माह मनाई जाने वाली मासिक शिवरात्रि में फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि सबसे खास और मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली शिवरात्रि होती है, इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा का संकल्प लेते हुए शिव मंदिर में जाएं, इसके बाद मन में भगवान शिव और माता पार्वती का स्मरण करते हुए उनका जलाभिषेकर करें, महाशिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा के दौरान अक्षत, पान, सुपारी, बेलपत्र, दूध, दधी, शहद, घी ,धतूरा आदि भगवान शिव को अर्पित करें, पूजा के दौरान शिव मंत्रों का जाप करते रहें ।
महाशिवरात्रि व्रत नियम जानें-
महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं ।
महाशिवरात्रि के दिन चार पहर की शिव पूजा करनी चाहिए।
दीप और कर्पूर जलाएं।
पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें ।
शिव को बेलपत्र पत्र और फूल अर्पित करें ।
शिव पूजा के बाद अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें ।
होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें, सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं ।
महा मृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत रखने का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था,महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से सभी तरह के सुख और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, महाशिवरात्रि पर सुबह से ही शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है,अगर आप सभी अनुष्ठानों के साथ पूजा करते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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