Sankashti Chaturthi
संकष्टी चतुर्थी :
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह दोनों पक्षों कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी के पूजन का विधान है। कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इस बार मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 23 नवंबर 2021 दिन मंगलवार को पड़ रही है। बुद्धि और शुभता के देव गणेश जी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु यह तिथि बहुत महत्व रखती है।
यदि संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है और इसे अत्यधिक शुभ माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत ज्यादातर पश्चिमी और दक्षिणी भारत में विशेष रूप से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में मनाया जाता है।
संकष्टी चतुर्थी व्रत :
संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश के भक्त सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखते हैं। संकष्टी का अर्थ है संकट के समय में मुक्ति। भगवान गणेश, बुद्धि के सर्वोच्च स्वामी, सभी बाधाओं के निवारण के प्रतीक हैं। इसलिए यह माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी बाधाओं से छुटकारा मिल सकता है। व्रत को सख्त माना जाता है और केवल फल, जड़ें (जमीन के नीचे एक पौधे का हिस्सा) और सब्जी उत्पादों का सेवन करना चाहिए। संकष्टी चतुर्थी पर मुख्य भारतीय आहार में साबूदाना खिचड़ी, आलू और मूंगफली शामिल हैं। रात में चांद दिखने के बाद श्रद्धालु उपवास तोड़ते हैं।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त-
मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी आरंभ- 22 नवंबर 2021 दिन सोमवार रात 10 बजकर 26 मिनट से
मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी समापन- 24 नवंबर 2021 मध्य रात्रि 12 बजकर 55 मिनट पर
चंद्रोदय का समय- 20:27:02
संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि-
- चतुर्थी तिथि प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
- मंदिर की साफ-सफाई करें और गणेश जी के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें।
- अब सिंदूर से गणेश जी का तिलक करें और फल-फूल आदि अर्पित करते हुए विधिवत् पूजन करें।
- गणेश जी को दूर्वा की 21 गांठें अर्पित करें व लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।
- पूजन पूर्ण होने के बाद क्षमायाचना करें और गणेश जी की आरती करें।
- इस दिन चंद्र दर्शन और अर्घ्य का भी विधान है।
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